Wednesday, September 5, 2007

हे बालक सुभाष भदौरिया, बहुत खुश होगे तुम

हे बालक, आज तो तेरी खुशी का टिकाना नही होगा। तमाम हिन्दी के ब्लागरों के बीच तो पहला ब्लागर बन गया है, जिसकी अश्लीलता पर अंग्रजी कम्पनी याहू ने शर्मसार हो पोस्ट ही बैन कर दी। बहरहाल, तेरा नाम हिन्दी ब्लागींग के इतिहास में एसे पहले ब्लागर की हैसियत से काले रंग मे लीख गया है, जिसे तु क्या तेरी आने वाली पुस्ते भी नही मिटा पायेंगी। लोग जब सुनेंगे तब मुंह बनायेंगे बिगडे जायके सा।

जब भी किसी पोस्ट को अश्लीलता के लिये हटाये जाने की मांग होगी, तेरी भद्दगी का जिकर जरुर होगा। तमाम ब्लागर हमेशा तुझे याद करेंगे इस गन्दगी के लिये। जा देख सपने औरतो के और लिख उसे अपनी गंदी भाशा मे।

बहरहाल, तु क्या करेगा? अब याहु को गालियां बकेगा। बक, तुझे सुनता कौन है?

तेरा क्या है, तु तो अपने पोस्ट पर और फिर अपने दोस्तों मे जाकर कहने लगेगा, नारद ने याहु को पाल रखा है। वो नारद का आदमी है। नारद इसके लिये जुम्मेदार है। गोली चलाओ और मसाल जलाओ और जाने क्या क्या।

हे बालक, तु जब इस तरह की फालतू बात करता है तो बाद में क्या अपना नाम लिखकर उसी पर थूकता है ? घ्रीणा तो होती होगी।

तेरी इतनी बेज्जती हुई है, जिनको न मालुम चला हो वो भी जान जायेंगे। इस करके सोचा कि तुझे लिखुं।

मां हुं न, चिन्ता होती है।