हे बालक समीर लाल उडन तस्तरी वाले, तु तो ऐसा नहीं था
तुझे क्या हुआ बेटा? तु तो सबको समझाने वाला मेरा बेटा था| तु सबका हौसला बढाता और सब कितने प्यार से तुझे सुनते है|
फिर एकाएक तुझे क्या हुआ| मुझे तो घबडाहट होती जा रही है|
जो भी हुआ हो| कभी कुछ बुरा लगा हो मगर फिर भी इतना बडा परिवार तुझको वापस बुलाने का अनुरोध कर रहा है तो वापिस क्यों नहीं आ जाता|
बहरहाल, जिसने भी तुझको दुखी किया, कौन जुम्मेवार है, मुझको नाम बता| मैं फटकार लगाउंगी न उसको|
लब्बोलुआब यह कि बस तु न जा|वापस आ जा|मां कह रही है|
आज तो तेरे गजल के मास्टर पंकज बेटा और तेरी बहन विनिता भी कदाचित तुझे बुलाने अलग से आवाज लगा गये, फिर भी तु चुप बैठा है| क्या तुझमे अहंकार आ गया है या अपनी इस बुडी मां से भी अनुरोध करवायेगा|
अच्छा बच्चा है न तु मेरा, अब वापस आ जा|
मां हूं न बेटा| तुझे दुखी देख नहीं सकती|
बहुत दुखी हूं -एक मां हूं न!