Thursday, July 12, 2007

हे बालक, ब्लॉगवाणी वाले शाबास

बालक, यह बहुत अच्छा किया। आज तुमने कल मेरी लिखी बात को समझ कर मेरे सारे पत्र और ब्लॉग को फ़िर रजिस्टर कर लिया। साथ ही तुमने भड़ास को रजिस्टर कर एक अच्छा काम किया। शरीर के किसी हिस्से में कोढ़ हो जाये तो उसे काट कर फ़ेंक देना ठीक नहीं है। इसीलिये मैं कह रही थी भड़ास को साथ रहने दो।तुम क्यों अपना मन खराब करते हो।

अब लगा कि तुम नारद से अलग हो। बालक, मुझे तुम पर नाज़ है। मैं जानती थी कि तुम अपने भाई अफ़लातुन की बात में आ गये हो और तुमसे उसके आँसू देखे नहीं गये। बालक, बालमन अनुभवहीन होता है और उससे अक्सर गल्तियाँ हो जाती है। अच्छा बालक वो होता है जो बड़ों की बात सुनकर अपनी गल्ती मान ले और सुधार ले। बालक, तुमने अच्छे बालक होने का प्रमाण दिया है। मै तुमसे बहुत खुश हुँ।

आगे भी जब गल्ती करोगे, मैं तुम्हें बताती रहुँगी। बालक, मैं तुम्हें गलत राह पर जाते नहीं देख सकती। जब तुम कोई गलत काम करते हो, मुझे लगता है कि मै जुम्मेदार हुँ।

माँ हुँ बालक, चिंता होती है!